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वास्तु शास्त्र

वास्तु शास्त्र वास्तुकला और निर्माण का एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो इमारतों, घरों, मंदिरों और अन्य संरचनाओं को डिजाइन करने के लिए सिद्धांतों और दिशानिर्देशों को निर्धारित करता है l वास्तु शास्त्र में दिशाओं का जमीन का काफी महत्व माना गया है गलत दिशाओं के कारण घर की ऊर्जा जो है वह दूषित होती है जमीन की शुद्धि ना हो तो भी ऊर्जा यहां दूषित होती है जिसके कारण कई सारे बुरे परिणाम जीवन में देखने को मिलते हैं सही वस्तु द्वारा मकान का निर्माण करने पर सुखद जीवन व्यक्ति को प्राप्त होता है सभी सुख संसाधन उसके जीवन में होते हैं और यही यदि बुरा हो तो व्यक्ति के जीवन में उन्नति रुक जाती है घर में बीमारियां लगातार बनी रहती हैं कुछ ना कुछ दुर्घटनाएं होती रहती है वह आत्महत्या करने के विचार भी देखने को मिलते हैं l

लालकिताब जन्मपत्रिका

लाल किताब की इस जन्मपत्रिका में जन्मकुण्डली, दशा, ग्रह स्पष्ट, लाल किताब कुण्डली व वर्ष कुण्डली के साथ यह भी बताया गया है कि आपका एवं परिवार का स्वास्थ्य कैसा रहेगा एवं उनका आपके प्रति व्यवहार कैसा रहेगा। इसमें रत्न कौन सा धारण करें व अन्य उपायों के साथ ग्रह फल, दशा फल व वर्षफल आदि भी दिए गए हैं। प्रयत्न किया गया है कि जातक को जिस प्रकार की जानकारी प्राप्त करने की अभिलाषा रहती है वह पूरी तरह दी जा सके। लालकिताब जन्मपत्रिका को ध्यान से पढ़ने पर आपको यह मालूम होगा कि आपके साथ क्या घटना घटित हो रही है। ग्रहों के आधार पर यह भी बताया गया है कि अमुक जातक को पूजा-पाठ करना चाहिए या नहीं। वर्षफल में जिन सावधानियों को बरतने के लिये कहा गया है, उन सावधानियों के प्रति आजीवन सतर्क रहें। जो बातें आपके लिये शुभ लिखी गयी है, उनको अपने जीवन में अवश्य अपनाएं एवं जिन बातों को आपके लिये अशुभ लिखा गया है उन बातों को निश्चय कर हमेशा के लिये त्याग दें। इस लालकिताब में व्यवसाय, कारोबार, नौकरी आदि के बारे में भी बतलाया गया है। इनसे संबंधित आपके लिये क्या लाभदायक रहेगा और क्या हानिकारक रहेगा इसकी विशेष जानकारी दी गयी है। जीवन में अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए लालकिताब के उपाय जिस समय तथा जिन आयु में करने के लिए कहे गये हैं उन्हीं आयु में ही करें।

कुंडली मिलान का महत्व

वैवाहिक जीवन में अनुकूलता हेतु जन्मकुण्डली मिलान किया जाता है। इसमें सर्वप्रथम अष्टकूट मिलान किया जाता है। जातक की राशि व नक्षत्र के - अनुसार उसका वर्ण, वश्य, तारा, योनि, राशेश, गण, भकूट एवं नाडी का ज्ञान करके वर-वधू के जीवन की अनुकूलता अथवा प्रतिकूलता का निर्णय किया जाता है। वर्ण विचार से कर्म, वश्य विचार से स्वभाव, तारा विचार से भाग्य, योनि विचार व ग्रह मैत्री विचार से पारस्परिक संबध, गण से सामाजिकता, भकूट से जीवन में तालमेल एवं नाड़ी विचार से स्वास्थ्य व सतांन संबधी फल का विचार किया जाता है इन सभी गुणों को क्रमशः 1 से 8 तक अंक विये जाते है। इस प्रकार अष्टकूट विचार में कुल 36 गुणों का विचार किया जाता है। जिसमें कम से कम 18 गुणों का होना आवश्यक है। इससे कम गुण वाले विवाह ज्योतिषीय विधान के अनुसार अव्यवहारिक रहते हैं। अष्टकूट मिलान के साथ मांगलिक दोष का विचार भी अति महत्वपूर्ण माना जाता हैं l उत्तम गुण और कुंडली मिलान करवाए वैवाहिक जीवन सुखद बनाएll

वार्षिक कुंडली

ज्योतिष में वर्ष कुंडली आम तौर पर आपके कुंडली से तैयार की जाती है और आपका यह वर्ष किस प्रकार रहेगा गोचर और आपके दशा के अनुसार यह वर्ष आपके लिए करियर रिश्ते स्वास्थ्य व्यक्तिगत यात्राएं लाभ हानि एवं कर्ज इन पहलुओं को दर्शाती है ग्रहों के प्लेसमेंट की जांच करके इसका निष्कर्ष निकाला जाता है ll

जन्म पत्रिका निर्माण

यह आपके जीवन में दर्पण के समान है आपके जीवन में आपका भाग्य उदय कब होगा कब आपका मकान होगा , कब आपका विवाह होगा ,कब आप उन्नति करेंगे,कब आपकी संतान होगी ,स्वयं के राजयोग यह सब कुछ आपका भाग्य का दर्पण यानी आपकी कुंडली स्वयं कि कुंडली बताती है आज ही ऑर्डर करें आपकी अपनी कुंडली अपना भाग्य दर्पण ll

कुंडली दोष

ज्योतिष में, विशेष रूप से वैदिक ज्योतिष (ज्योतिष) में, `कुंडली दोष` किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली (कुंडली) में कुछ ग्रह संयोजनों या स्थानों को संदर्भित करता है जिन्हें प्रतिकूल या समस्याग्रस्त माना जाता है। इस प्रकार के कई सारे दोष होते हैं जैसे केंद्रम योग कालसर्प योग ग्रहण दोष चांडाल योग अंगारक योग दरिद्र योग श्रापित योग विष योग इत्यादि इन योग के बुरे प्रभाव को कुंडली मैं दोष कहते हैं ll

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A. Dennett - Astrologer